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Title: सांसों पर भारी कालाबाजारी
Authors: Verma, Sanjay
Issue Date: 2023
Publisher: Cyber Tech Publications
Abstract: आपदा में अवसर के मुहावरे को सही अर्थों में किसी ने आत्मसात कर चरितार्थ किया है, तो वे हैं देश और समाज के कलंक कालाबाजारी। नर्स, डॉक्टर, मेडिकल स्टोर चलाने वाले दुकानदार से लेकर परचूनिए और रेहड़ी पर फल-सब्जी आदि बेचने वालों की पूरी फौज है जो कोरोना जैसी महामारियों के मुकाबले कहीं ज्यादा तेज और संक्रामक ढंग से देश के हर इलाके में घुसपैठ कर चुकी है। कोरोना काल में कोई दो-चार हजार के रेमडेसिविर इंजेक्शन को अस्पतालों से चोरी कर 20 से 70-80 हजार रुपये तक में बेचता पाया जा रहा था और उसके लिए असली होने की कोई गारंटी भी नहीं थी। उस दौरान तो ऑक्सीजन सिलेंडर तो बहुतेरे कालाबाजारियों के लिए सात पीढ़ियों के खाने-पीने का इंतजाम करने वाला उपकरण बन गया था। अस्पतालों में बिस्तर से लेकर दवा और ऑक्सीजन तक की किल्लत से आजिज तीमारदारों की प्राथमिकता अपने मरीजों की जान बचाना है। ऐसे में वे खून के घूंट पीकर भी जिंदगी भर की कमाई एक झटके में कालाबाजारियों के हाथों सुपुर्द करने की विवशता झेलते हैं।
URI: http://lrcdrs.bennett.edu.in:80/handle/123456789/2567
ISSN: 978-93-5053-915-6
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