nanoll extt
Please use this identifier to cite or link to this item: http://lrcdrs.bennett.edu.in:80/handle/123456789/2557
Title: चुनौती बनते विषाणु
Authors: Verma, Sanjay
Issue Date: 2023
Publisher: Cyber Tech Publications
Abstract: अगर मेडिकल साइंस की बेशुमार तरक्की के बाद भी हर साल दुनिया के किसी न किसी कोने से कोई नया विषाणु हमारे लिए नई चुनौती बन जाता है, तो यह कहना ही होगा कि बैक्टीरिया इंसान से भी ज्यादा चालाक है। वर्ष 2019 में मध्य चीन के एक करोड़ से ज्यादा आबादी वाले शहर वुहान से उभरे कोरोना वायरस के सामने चिकित्सा विज्ञान की आम तैयारियों के चौपट हो जाने का तो फिलहाल यही मतलब निकलता है। इसे आसान शब्दों में कहें तो कह सकते हैं कि जिस तरह इंसान ने पृथ्वी पर हर परिस्थिति और वातावरण में ढलना सीख लिया, उसी प्रकार वायरसों ने एंटीबायोटिक्स से समायोजन करना (एडजस्ट करना) और एक जीव प्रजाति से दूसरी जीव प्रजाति में छलांग लगाना सीख लिया है। कुछ मामलों में तो बैक्टीरिया ने एंटीबायोटिक को नष्ट करने की क्षमता रखने वाले एंजाइम तक बनाने सीख लिए हैं। लेकिन इसका एक और सच यह है कि महामारी तक बन जाने वाली ऐसी भीषण बीमारियों के प्रसार की रोकथाम न कर पाना और उनकी पैदावार के अनुकूल लापरवाहियां छोड़ देना हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। यह वक्त ही बताएगा कि दुनिया कोरोना वायरस के पनपने और अचानक विस्फोट की तरह फट पड़ने की इस घटना से कोई सबक लेती है और समस्या का कोई मुकम्मल इलाज खोजेगी।
URI: http://lrcdrs.bennett.edu.in:80/handle/123456789/2557
ISSN: 978-93-5053-915-6
Appears in Collections:Book Chapters_TSoM

Files in This Item:
File SizeFormat 
Ch_6_978-93-5053-915-6.pdf
  Restricted Access
1.36 MBAdobe PDFView/Open Request a copy

Contact admin for Full-Text

Items in DSpace are protected by copyright, with all rights reserved, unless otherwise indicated.